Fascination About कास्पा माइनिंग
Fascination About कास्पा माइनिंग
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पिछले साल जब चीन ने अचानक ही क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग पर पाबंदी का एलान कर दिया था तो पड़ोसी देश कज़ाख़स्तान में ये इंडस्ट्री तेज़ी से फलने-फूलने लगी.
क्लाउड माइनिंग में तीसरे पक्ष के साथ मिलकर सिक्कों का खनन करना शामिल है।
ये एक तरह की डिजिटल मुद्रा है और किसी भी सरकार या किसी बैंक का इस पर कोई अख़्तियार नहीं है.
क्लाउड माइनिंग बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी को माइन करने का एक तरीका है, जिसमें हार्डवेयर और संबंधित सॉफ़्टवेयर को इंस्टॉल या सीधे चलाए बिना किराए पर ली गई क्लाउड कंप्यूटिंग शक्ति का उपयोग किया जाता है। माइनिंग रिग को एक माइनिंग कंपनी के स्वामित्व वाली सुविधा में रखा जाता है और उसका रखरखाव किया जाता है, और ग्राहक को केवल माइनिंग अनुबंध या शेयर पंजीकृत करने और खरीदने की आवश्यकता होती है।
वीडियो कैप्शन, क्रिप्टो करेंसी या डिजिटल करेंसी क्या है?
क्रिप्टोकरेंसी, डिजिटल वॉलेट और ब्लॉकचेन से जुड़े हर सवाल का जवाब
चंडीगढ़. पंजाब के मुख्यमंत्री सरदार भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार ने खनन एवं भू-विज्ञान मंत्री बरिंदर कुमार गोयल की उपस्थिति में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आई आई टी) रोपड़ के साथ खनन और भू-विज्ञान के लिए उत्कृष्टता केंद्र (सेंटर ऑफ एक्सीलेंस) स्थापित करने हेतु एक समझौता पत्र (एम ओ यू) पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
ये मालूम नहीं है कि इसमें कितनी बिजली ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों से मिलती है लेकिन डाना येरमोलिनोक जैसी पर्यावरणदियों का कहना है कि कज़ाख़स्तान जैसे देशों में केवल दो फ़ीसदी बिजली ही ग़ैरपरंपरागत स्रोतों से हासिल होती है.
यह उनके लिए एक सच्ची श्रद्धांजलि होगी यदि संबंधित अधिकारी, ठेकेदार और एजेंसियां सुरक्षा उपायों का सख्ती से पालन करें, यह सुनिश्चित करें कि इन लोगों को शारीरिक और वित्तीय रूप से पर्याप्त रूप से कवर किया जाए.
यह रिपल प्रोटोकॉल पर बनाया गया है, जो सीमा पार भुगतान की सुविधा के लिए एक विकेन्द्रीकृत ओपन-सोर्स प्रोटोकॉल है।
सरकार बिटकॉइन जैसी निजी आभासी मुद्राओं पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही है जबकि सरकार अपनी डिजिटल करेंसी लाएगी। बिल में क्रिप्टोकरंसीज धारकों को इसे लिक्विडेट करने के लिए छह महीने तक का समय मिलेगा इसके बाद पेनल्टी लगाई जाएगी।
आप इस प्रकार का खनन दूरस्थ रूप से भी कर सकते हैं।
इस समझौते के माध्यम से जो ASIC माइनर्स भारत डेटा प्राप्त होगा, उससे यह पता चल सकेगा कि खनन स्थलों से कितना रेत कानूनी और अवैध तरीके से निकाला गया है। इस सिस्टम से बांधों में जमा रेत का भी पता लगाया जा सकेगा कि बारिश से पहले कितनी फुट रेत थी और बाद में कितनी फुट जमा हुई है।
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